वायु प्रदूषण क्या है? वायु प्रदूषण के कारण, वायु प्रदूषण के प्रकार क्या क्या हैं? वायु प्रदूषण के निवारण

आज के समय हमारे पृथ्वी जिन गिने चुने खतरों से ज्यादा प्रभावित हो रहा है उन्मे से एक है वायु प्रदूषण। आज ऐसा समय या गया है की वायु प्रदूषण के कारण पूरी विश्व में हर साल लगभग 1 करोड़ लोगों का मृत्य हो रहा है। मनुष्य खुद इस प्रदूषण का कारण है। वायु प्रदूषण केवल एक उपद्रव और स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है। यह एक अनुस्मारक है कि हमारी सबसे प्रसिद्ध तकनीकी उपलब्धियां जैसे की ऑटोमोबाइल, जेट विमान, बिजली संयंत्र, सामान्य रूप से उद्योग, और वास्तव में आधुनिक शहर ही हैं जो पर्यावरण, विफलताएं का मुख्य कारण बन चुका है। 

आज हम वायु प्रदूषण क्या है? वायु प्रदूषण के कारण और प्रकार और वायु प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है आदि को गभीर से जान पाएंगे। 

ये भी पढ़ें- प्रदूषण क्या है?

Table of Contents

वायु प्रदूषण क्या है? Vayu Pradushan Kya Hai?

वायु प्रदूषण क्या हैं? का चित्र Image

वायु प्रदूषण क्या है? वायु प्रदूषण एक परिस्थिति है, जो की जब वायु मैं मनुष्य या फिर पृथिवी को किसी तरह से नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषक मिल जाते हैं, तब उपजता है। WHO के एक Study से ये तथ्य सामने आया हैं की दुनिया मैं 70 लाख लोगो से भी ज्याद मृत्यु और 10 लोगो मैं से 9 लोगो को सांस लेने मैं दिक्कत वायु प्रदूषण के वजह से होता हैं। 

वायु प्रदूषण के वजह से बहुत सारे बीमारी होती हैं जैसे की सांस लेने मैं दिक्कत होना, दीर्घ काल मैं IQ का घटना, डिप्रेशन का शिकार होना इत्यादि। वायु प्रदूषण इतना बढ़ चुका हैं की पृथ्वी के लगभग 90% लोग प्रदूषित वायु को सांस लेते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण क्या है?

वायु प्रदूषण होने का सबसे बड़ा कारण है शक्ति का उत्पादन करना, वाहनों से निकलने वाली धुआं, अवशेष उत्पादों पर आग लगा देना इत्यादि। लेकिन आज हम इस पोस्ट पर ये जानने की कोशिश करेंगे की भारत मैं वायु प्रदूषण होने का सबसे बड़ा कारण क्या हैं? भारत मैं वायु प्रदूषण कोई एक कारण की वजह से नहीं बढ़ रहा है बल्कि 3 से 4 बड़े कारण हैं।

  1. जंगल में आग लगना
  2. खुले मैदान में आग लगना
  3. कोयला का दहन 
  4. पेट्रोल और डीजल का अधूरा दहन होना

1. जंगल में आग लगना (Forest Fire)

माना जाता हैं जबसे जंगल हैं तब से जंगल में आ लगते आ रही हैं। ये एक प्राकृतिक दुर्घटना है लेकिन कभी कभी लोग खुद से भी जंगल में आग लगा लेते हैं। जंगल में आग लगने से जंगल के आस पास रहने वाले flora और fauna बहत ज्यादा प्रभावित होते हैं। 

गर्मियों के मौसम मैं जब जंगल पूरी तरह से सूखा पड़े होते हैं तब ज्यादा धूप से जंगल के सूखे पेड़ पौधों पर आग लग जाती हैं। ये आग लग जाने के वजह से न केवल आस पास के जैव विविधता को नुकसान पहुंचता है बल्कि वायु मंडल भी बहुत ज्यादा दूषित हो जाता हैं। एक साथ इतने सारे पेड़ पौधे जल जाने के वजह से कार्बन डाइआक्साइड का मात्रा आस पास के वायुमंडल में बढ़ जाता हैं।

2. खुले मैदान में आग लगना

किसान नया फसल उगाने से पहले जिस जगह मैं पुराने फसल उगाए थे वहां आग लगा देते हैं। आग लगाने से ठूंठ और कचरा जल जाते हैं और जगह साफ हो जाता हैं। जगह साफ हो जाना अलग बात है लेकिन इसका प्रभाव वायु मंडल पर बहुत ज्यादा पड़ता हैं। इससे न केवल मिट्टी उपजाऊपन काम होते जाता हैं साथ ही साथ कार्बन प्रदूषक भी बायुमंडल मैं बाद जाते हैं। किसानों को ये करने का अंजाम पता होने के बावजुत करते हैं क्यू की उनके पास कुछ और तरीका ही नहीं हैं जिससे वो अपने जमीन को साफ कर सकें।

3. कोयला का दहन 

भारत मैं कोयला को व्यवहार कर के चलने वाले ताप विद्युत केंद्र अकेले ही पूरे भारत के 20% से ज्यादा प्रदूषक कणिका का उत्पादन करते हैं। बहुत सारे ऐसे विद्युत केंद्रों के पास तो टेक्नोलॉजी ही नहीं हैं जिससे वे ये प्रदूषणकारी तत्वों को काबू में ला सकें। झरिया कोयला माइन एक ऐसा माइन हैं जो लगभग 100 साल से जल रहा है। ये माइन लगभग 100 वर्ग मिल पर व्याप्त हैं। देश को कोयला का कोई विकल्प की सक्त जरूरत हैं।

4. पेट्रोल और डीजल का अधूरा दहन होना

पेट्रोल और डीजल का अधूरा दहन हो पाने के वजह से कार्बन मैनोसाइड ज्यादा मात्रा में पैदा होता हैं। ये गैस वायुमंडल को और साथ ही साथ आस पास रहने वाले जेब विविधता को भी नष्ट कर देता हैं। 

कार्बन मोनोऑक्साइड का कोई रंग नहीं होता। इसे देखा नहीं जा सकता। कार्बन मोनोऑक्साइड के वजह से अम्ल वर्षा होने का खतरा बढ़ता हैं। जब बारिश होती हैं वायुमंडल के कार्बन मोनोऑक्साइड और दूसरे प्रदूषकों के साथ मिल कर धरती पर पड़ता है, इस तरह के घटना को अम्ल वर्षा कहते हैं।

हमने ये तो जान लिया वायुमंडल दूषित किस वजह से होता हैं, अब देखते हैं वायुमंडल दूषित कितने प्रकार से हो सकते हैं।

वायु प्रदूषण के प्रकार और वायु प्रदूषण के प्रभाव

वायु प्रदूषण के प्रकार और प्रभाव चित्र Image

वायुमंडल दूषित होने के 4 मुख्य प्रकार हैं।

  1. पार्टिकुलेट मैटर
  2. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  3. ओजोन
  4. सल्फर डाइऑक्साइड

1. पार्टिकुलेट मैटर क्या होता है और वायुमंडल पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

अगर आम भाषा मैं इसे समझने की कोशिश करें तो पार्टिकुले मैटर होता है दूषित कणिका। ये दूषित कणिका भी अपने आप मैं बहत तरह के होते हैं। ये कणिका धरती पर ही जो मिनरल, धूल और अन्य कणिका होते हैं उनसे मिल कर बनते हैं। अपने आप मैं ये कोई दूषित पदार्थ नहीं होते लेकिन अगर मनुष्य या कोइनौर प्राणी के फुसफुस मैं ये चला जाए उसके शरीर को नष्ट कर देता हैं। 

पार्टिकुलेट मैटर को PM से नापा जाता हैं। कुछ ऐसे कणिका होते हैं जो PM 2.5 से छोटे होते हैं और कुछ हैं जो PM 10 से छोटे होते हैं। जो कणिका 10PM से छोटे होते हैं वो नाक के अंदर नहीं जा पाते। बहुत ज्यादा संभावना हैं की वो नासिका के अंदर ही फस कर रह जाएंगे। जो कणिका PM2.5 से भी छोटे होते हैं वो अंदर चले जाते हैं लेकिन फुसफुस के अंदर नहीं जा पाते। ऐसे कणिका अंदर जाने के वजह से गले मैं जलन होना, सांस लेने मैं तकलीफ होना और सांस लेते वक्त ज्यादा जलने का अनुभव करेंगे।

कुछ ऐसे भी छोटे ककणिका होते हैं जो बहत ज्यादा सूक्ष्माकर होने के वजह से दिखते नहीं हैं और ये फेफड़े के अंदर भी चले जाते हैं। ये कणिका मनुष्य के लिए बहुत खतरनाक हैं। इस तरह के कणिकाओं को पार्टीफुलेट मैटर कहा जाता हैं।

2. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड क्या हैं और इसका वायुमंडल पर क्या प्रभाव पड़ता है?

बहुत सारे प्रदूषकों मैं से नाइट्रोजन डाइऑक्साइड एक हैं। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड मुख्यतः ईंधन के अपूर्ण दहन से निकलता हैं। इसका वायुमंडल में उपस्थित होने से वायुमंडल में और नए नए पार्टिकुलेट मैटर का भी इजात हो जाता हैं। साथ ही साथ ये गैस अम्ल वर्षा होने का भी कारण हैं। ज्यादा समय के लिए ऐसे गैस के संसर्ग मैं आने से मनुष्य की आयु पर प्रभाव पड़ सकता हैं। ऐसे प्रदूषित माहोल मैं रहने से प्रदूषकों से एलर्जी होने का भी संभावना बढ़ जाता हैं।

3. ओजोन गैस क्या हैं और इसका वायुमंडल पर क्या प्रभाव पड़ता है?

ओजोन गैस ऑक्सीजन के 3 एटम से बनता हैं। भले ही ऑक्सीजन से बनता हो इसका अच्छा और बुरा प्रभाव दोनो ही देखने को मिलता हैं। इसका अच्छा प्रभाव या बुरा प्रभाव दिखना इसपे निर्भर करता हैं की ये वायुमंडल के ऊपर या फिर नीचे कहां बनता हैं? 

ओजोन गैस का 1 लेयर वायुमंडल के ऊपर स्तर मैं प्राकृतिक प्रक्रिया से बनता हैं और ये  धरती के लिए अच्छा हैं लेकिन वायुमंडल दूषित होने के वजह से ओजोन स्तर मैं छेद होने लगे हैं। ये तो रही बात अच्छे ओजोन स्तर का। अच्छा होने के बावजूत मनुष्य इसे बिगड़ने पी तुला हैं। अब बात करते हैं धरती के सतह मैं कैसे ओजोन बनता है और वे कैसे नुकसान पहुचने वाला गैस होता हैं? 

ओजोन मनुष्य सीधी तौर से नहीं बनाता लेकिन जो खुतिकारक प्रदूषक गाड़ी से और फैक्ट्रियों से आते हैं वो सूर्य के रश्मि के उपस्थिति में अपने आ से रिएक्शन कर के ओजोन बना लेते हैं। गर्मियों के दिन मैं ओजोन की मात्रा बहुत बढ़ जाता हैं। ये ओजोन के वजह से वायुमंडल मैं तापमान और बढ़ जाता हैं। 

4. सल्फर डाइऑक्साइड क्या हैं और ये वायुमंडल को कैसे प्रभावित करता है?

सल्फर डाइऑक्साइड एक द्वितीयक प्रदूषक है। ज्वालामुखी विस्फोट से सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है।  हवा में आने के बाद यह ओजोन जैसे  और द्वितीयक प्रदूषक पैदा करता है। यह गैस तेल शोधन जैसी औद्योगिक गतिविधियों से भी उत्सर्जित होती है। भारी डीजल इंजन भी उच्च मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन करते हैं। सल्फर डाइऑक्साइड न केवल मानव के श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है बल्कि आंखों में भी समस्या पैदा करता है। यह गैस फेफड़ों में जलन और सूजन पैदा करती है।

वायु प्रदूषण के निवारण क्या है?

वायु प्रदूषण के निवारण क्या है? चित्र Image

वायु प्रदूषण की रोकथाम सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। हम भी ऐसी समस्याओं को रोकने की कोशिश करने के लिए जिम्मेदार हैं।

सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना

अगर हम निजी परिवहन को कम करते हैं तो तेल का दहन व्यक्तिगत स्तर से कम हो जाएगा। ये सिस्टम निजी परिवहन की तुलना में सस्ते भी हैं। कुछ देश ऐसे भी हैं जहां लोग वायु प्रदूषण को रोकने के लिए केवल साइकिल का इस्तेमाल करते हैं। लोगों को जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए और साइकिल का उपयोग आवागमन के साधन के रूप में करना चाहिए।

जब उपयोग में न हो तो इलेक्ट्रॉनिक स्विच ऑफ कर दें

भारत ज्यादातर कोयले से बिजली का उत्पादन करता है। कोयले के जलने से हानिकारक गैसें निकलती हैं। यही कारण है कि विद्युत संरक्षण वायु प्रदूषण को रोकने में सहायक है।

उपयोग किए गए उत्पादों का पुन: उपयोग करने का प्रयास करें

प्रयुक्त उत्पादों के पुनर्चक्रण से वायु प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाता है। हमेशा पुन: उपयोग करने का प्रयास करें। यदि किसी उत्पाद का पुन: उपयोग करना संभव न हो तो उसे पुन: चक्रित करने का प्रयास करें।  एक नए उत्पाद के निर्माण के लिए रीसाइक्लिंग की तुलना में अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

पटाखों ना फोड़ें

पटाखों का इस्तेमाल कुछ खास मौकों पर ही किया जाता है। फिर भी वे वास्तव में बड़ी मात्रा में प्रदूषण का कारण बनते हैं।अगर हम पटाखों का इस्तेमाल कम कर दें तो प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाएगा।

इस लेख “वायु प्रदूषण क्या है” से आपने क्या सीखा?

उम्मीद है की “वायु प्रदूषण क्या है? वायु प्रदूषण के कारण और प्रकार और वायु प्रदूषण को कैसे रोका जा सकता है” यह आप सचेतन हो गए होंगे। यह बात हम सबको अब अनुभव कर लेना चाहिए की वायु प्रदूषण का एक ही कारण हम मानब ही हैं। हमारी ही ला परबही की वजह से आज हमारे धरती मा का स्तिथि धीरे धीरे बत्तर हो रहा है। इस लिए आप सब से निवेदन है की ज्यादा से ज्यादा से वायु प्रदूषण को रोकें और हमारे भविष्य पीढ़ी के लिए एक बेहतर पृथ्वी बनाएं। 

Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x