ट्रांजिस्टर क्या है? ट्रांजिस्टर कितने प्रकार के होते हैं? और ट्रांजिस्टर का कार्य क्या है?

सभी को मेरा नमन, Physics या भौतिक बिज्ञान का नाम सुनते ही बिद्यार्थियों की पसीना छूट जाता है। पर Physics इतना भी जटिल विषय नहीं है जितना दिखता है। मन से समझना चाहते हैं तो Physics से दिलचस्प विषय और कोई नहीं। और वैसे भी हर चीज का मूलिक ज्ञान होना जरूरी होता ही हमारे रोज ज़िंदेगी मैं। इस लिए आज हम Physics का एक विषय Transistor का मौलिक ज्ञान समझने की कोशिस करेंगे। तो आईए जानते हैं ट्रांजिस्टर क्या है? ट्रांजिस्टर कितने प्रकार के होते हैं? और ट्रांजिस्टर का कार्य क्या है?

ट्रांजिस्टर क्या है?

ट्रांजिस्टर विद्युतीय उपकरण है जिसे विद्युतप्रवाह या Voltage के संचालन और रोधन दोनों के लिए उपयोग किया जाता है। Transistor कमजोर प्रतिरोध Circuit(क्षेत्र) से उच्च प्रतिरोध Circuit मैं कमजोर संकेत को स्थानांतरित करने मैं एक Semiconductor का काम करता है।

सरल भाषा मैं कहे तो Transistor एक Switch है जिसका उपयोग विद्युत के संकेतों को नियंत्रण किया जाता है। 

ट्रांजिस्टर को 1947 मैं America के तीन भौतिक बिज्ञानी John Bardeen,Walter Brattain और William Shockley ने आविष्कार कीये थे और Transistor को बिज्ञान के इतिहास मैं सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों मैं एक माना जाता है। आज अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों मैं Transistor को प्रमुख रूप से उपयोग किया जाता है।

ट्रांजिस्टर का गठन 

एक Transistor तीन परत का Semiconductor पदार्थ से बना होता है बाहरी क्षेत्र अथवा Circuit से संबंध बनाने और विद्युत धारा को ले जाने मैं मदत करता है। 

एक Voltage या विद्युत धारा जो किसी Transistor के Terminal के किसी भी जोड़े पर लगाया जाता है, दूसरे जोड़े के Terminal के माध्यम से विद्युत या Current को नियंत्रित करता है। एक Transistor के लिए तीन Terminal होते हैं।

  1. Emitter(उत्सर्जक):- Emitter का काम आधार के माध्यम से Collector को Charge Carrier की आपूर्ति करना है। Emitter का आकार Base से अधिक लेकिन Collector से कम होता है।
  2. Base(आधार) :- इसका उपयोग ट्रांजिस्टर को सक्रिय करने के लिए किया जाता है।
  3. Collector(संग्राहक) :- Collector की काम है Transistor के Base में आता हुआ Charge Carrier को एकत्रित करना या आकर्षित करना। 

ट्रांजिस्टर कितने प्रकार के होते हैं?

ट्रांजिस्टर को मूल रूप से दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है। बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर (BJT) और फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (FET)

1.बाइपोलर जंक्शन ट्रांजिस्टर (BJT)

Field Effect Transistor Kya Hai

  • BJT एक तीन-टर्मिनल Semiconductor उपकरण है। इसमें दो प्रकार के Semiconductor पदार्थ होते हैं – एक है n-type और दूसरा है p-type – जिसके माध्यम से एक धारा प्रवाहित होती है।  BJT में आमतौर पर Silicon होता है। 
  • BJT के 3 Terminal होते हैं Base,Emitter और Collector
  • BJT में p-type की परतें हैं जो अपने Input Circuit के माध्यम से Transistor में प्रवेश करने वाले Electron को आकर्षित करती हैं।  दूसरी ओर, n-type की परते Electrons को Transistor से बाहर निकलने के लिए मदत करता है।
  • BJT का परते विद्युत प्रवाह के प्रवाह को निर्धारित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि एक Charge उसी दिशा में वापस नहीं आ सकता जैसा वह आया था। यह Setup System को Overheating या क्षतिग्रस्त होने से बचाता है।

BJT का भी 2 प्रकार होते हैं

  1. P-N-P:- यह एक प्रकार का BJT है जहां एक n-type की पदार्थ को 2 p-type की पदार्थ के बीच रखा जाता है। इस व्यवस्था करंट के प्रवाह को नियंत्रित करता है। PNP Transistor में 2 Crystal Diode होते हैं जो श्रृंखला में जुड़े होते हैं। Diode के दायीं ओर को Collector Based Diode और बायीं ओर को Emitter Based Diode कहा जाता है। 
  2. N-P-N:- इसमें एक p-type की पदार्थ को 2 n-type पदार्थों के बीच रखा जाता है। N-P-N Transistor मूल रूप से कमजोर संकेतों को मजबूत संकेतों तक बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। इस ट्रांजिस्टर में,Electron Emitter से Collector क्षेत्र में चले जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप Transistor में Current का निर्माण होता है। यह Transistor Circuit में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

2.फील्ड इफेक्ट ट्रांजिस्टर (FET)

Field Effect ट्रांजिस्टर क्या है

FET Terminal पर Voltage स्रोत और अपवाहिका के बीच एक धारा को नियंत्रित करता है। FET एक Unipolar (एकध्रुवीय) Transistor है जिसमें चालन के लिए N Channel FET या P Channel FET का उपयोग किया जाता है।  FETs के मुख्य रूप से कम शोर वाले Amplifier, Buffer Amplifier और Analogue Switch में होता है। 

इनके अलावा, कई अन्य प्रकार के Transistor हैं जिनमें MOSFET, JFET, Insulated -Gate Bi-polar Transistor, Thin Film Transistor,High Electronic Mobility Transistor, Inverted-T Field -Effect Transistor (ITFET),fast-reverse epitaxial diode field-effect transistor(FREDFET), Schottky Transistor, Tunnel Field-Effect Transistor, Organic Field-Effect Transistor (OFET), Diffusion Transistor, आदि।

ट्रांजिस्टर कैसे काम करता है?

ट्रांजिस्टर को Amplifier और Switch दोनो के रूप से उपयोग किया जा सकता है और उसका कार्यप्रणाली उसपर निर्भर करता है की आप किस रूप में Transistor का उपयोग कर रहे हैं। 

Amplifier के रूप में कार्यप्रणाली

Amplifier Circuit में Emitter एक Voltage स्रोत जैसे की Battery से जुड़ा होता है। Collector एक Resistor के माध्यम से जमीन से जुड़ा होता है। Base में एक छोटे Current को प्रवाह करते है तो वो छोटा Current Emitter से Collector तक एक बड़ा Current की रूप से प्रवाह होता है।

तो आप देख सकते हैं की Base से प्रवाह किया जाता छोटा Current Emitter से Collector तक गुजर के जब बाहर आता है तो उस छोटे Current का कई गुना बड़ा Current निकलता है। 

पर वास्तव में जो बाहर बड़ा Current निकलता दिखता है वो Base से प्रवाह किए गए छोटे Current का बड़ा रूप नही है बल्कि अन्य एक Current है ,जो Voltage स्रोत से निकाले गए छोटे Current के समानुपाती होता है। Transistor सिर्फ एक Switch के रूप में कार्य करता है, जिससे Voltage स्रोत से जमीन पर प्रवाहित होने वाली धारा को रोकनेवाला के माध्यम से प्रवाहित किया जाता है।

Switch के रूप में कार्यप्रणाली

जब Transistor Cut -Off क्षेत्र (शून्य के बराबर बेस करंट) में होता है तो Collector से Emitter तक कोई Current प्रवाहित नहीं होता है। यहां पर Transistor एक खुले Switch के रूप में कार्य करता है। परिणामस्वरूप, जो Voltage बाहर निकलता है वो Vcc के Voltage स्रोत के बराबर होता है।

Base में पर्याप्त Current डालने से, Vcc से जमीन में Current प्रवाहित होता है जिसका Output Voltage जमीन के समान होता है, यानी Transistor एक बंद Switch के रूप में काम करता है।

Vcc और Transistor के Collector के बीच के Resistor को किसी भी Load से बदला जा सकता है। विशेष रूप से, यह कोई भी Current प्रेरक हो सकता है, जैसे की Moter,LED,Loud Speaker आदि। यह तब उपयोगी होता है जब एक प्रेरक को चलाने के लिए आवश्यक शक्ति नियंत्रण Circuit द्वारा प्रदान नहीं की जा सकती है।

ट्रांजिस्टर के फायदें

  • कम लागत और आकार में छोटा।
  • छोटी यांत्रिक संवेदनशीलता।
  • कम Operating Voltage
  • ज्यादा दिन टिकने वाला। 
  • बिजली की खपत नहीं।
  • तेजी से Switching।
  • बेहतर दक्षता सर्किट विकसित किए जा सकते हैं।
  • एकल एकीकृत परिपथ विकसित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

फायदे के साथ साथ ट्रांजिस्टर के कुछ परिसीमन भी होते हैं। जैसे की

  • ट्रांजिस्टर में उच्च इलेक्ट्रॉन गतिशीलता की कमी होती है।
  • विद्युत और तापीय घटनाएँ उत्पन्न होने पर ट्रांजिस्टर आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
  • Transistor कॉस्मिक किरणों और विकिरण से प्रभावित होते हैं।

ट्रांजिस्टर का कार्य क्या है?

यहां हम ट्रांजिस्टर के अनुप्रयोगों को सूचीबद्ध करते हैं। (ट्रांजिस्टर के व्यावहारिक अनुप्रयोग) :

  • ट्रांजिस्टर का उपयोग Digital और Analogue Circuit में Switch के रूप में किया जाता है।
  • Signal Amplifier उपकरणों में उपयोग करता है
  • Mobile Phone में Transistor का उपयोग Amplifier के रूप से किया जाता है। 
  • बिजली नियामक और नियंत्रकों में उपयोग करता है
  • Microprocessor में प्रत्येक Chip में अरबों से अधिक Transistor शामिल होते हैं।
  • Stove से लेकर Computer, Pacemakers, विमान तक भी हर Electronic Device में Transistor का इस्तेमाल किया जाता है।
  • सेना के Radar और हाथ से पकड़े जाने वाले दो-तरफा रेडियो में Transistor की उच्च-शक्ति रेडियो आवृत्ति (आरएफ) क्षमताओं का उपयोग किया जाता है। 

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ट्रांजिस्टर क्या है? और ट्रांजिस्टर का कार्य क्या है? – निष्कर्ष

इससे आपको अंदाजा हो गया होगा की हमारे हर दिन में ब्यबाहृत Electronic सामग्री में Transistor का एक एहम भूमिका होती है। उम्मीद करते हैं की आपको समझ आ गया होगा की ट्रांजिस्टर क्या है। अगर ये Post “ट्रांजिस्टर क्या है? ट्रांजिस्टर कितने प्रकार के होते हैं? और ट्रांजिस्टर का कार्य क्या है?” पसंद आया तो Comment जरूर करें और अपने दोस्तों या रिश्तेदारों मैं Share करना ना भूलें धन्यवाद। 

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