प्रदूषण का अर्थ है – ‘वायु, जल, मिट्टी आदि का अवांछित पदार्थों से दूषित होना’, जिसका सीधा प्रतिकूल प्रभाव जीवों पर पड़ता है तथा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पारिस्थितिकी तंत्र को क्षति पहुँचाते हैं। प्रदूषण पर्यावरण और जानवरों को नुकसान पहुंचाता है।
नमस्कार दोस्तों, जिस कारण के वजह से आज हमारे पृथ्वी और जीवन धारण मैं ज्यादा कुप्रभाव पड़ रहा है वो है Pollution जिसे प्रदूषण कहा जाता है। Pollution के कारण हमारे धरती धीरे धीरे से बर्बाद होने लग रहा है और हर साल करोड़ों मैं जानें जा रहा है सिर्फ Pollution के कारण। आज हम इस पोस्ट में प्रदूषण क्या है? (Pradushan Kya Hai) प्रदूषण के प्रकार क्या क्या है उन सब के बारे में बिस्तार में जानेंगे। तो Pollution को अच्छे से समझने के लिए End तक जरूर पढ़ें।
प्रदूषण क्या है? Pradushan Kya Hai
प्रदूषण एक ऐसी चीज है जो पर्यावरण को दूषित करती है। वायु, भूमि और जल में हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति, जो जीवों और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है, वह प्रदूषण है।
किसी चीज पे अगर कुछ बाह्य पदार्थ मिल जाए जो उस चीज मैं प्रतिकूल प्रभाव पकाए तो उसे Pollution अथवा प्रदूषण कहते हैं। Pollution अथवा प्रदूषण किसी भी चीज की सुद्धता को नष्ट कर देता है। प्रदूषण या तो हो जाता है और कराया जाता है।
प्रदूषण के प्रकार | Pradushan Ke Prakar
साधारणतः प्रदूषण ५ प्रकार के होते है जैसे की – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। आइये जानते इन सारे प्रदूषण के बारे में विस्तार में।
1. वायु प्रदूषण क्या है | Vayu Pradushan Kya Hai
कुछ शहरों में हवा में सांस लेना खतरनाक है। क्यों? कारण है Air Pollution। Air Pollution अथवा वायु प्रदूषण तब होता है जब हवा में हानिकारक Gases और रसायन मिश्रित हो जाते हैं। गंदगी, जमी हुई मैल,गाड़ी की धुआं और अन्य Aeroslos हवा में चले जाते हैं। ये प्रदूषक वातावरण में ऊपर जा सकते हैं और बादलों को संक्रमित कर सकते हैं जो अम्ल वर्षा(Acidic Rain) का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा प्रदूषण हमारे वातावरण के हवा से मिल कर Smug का कारण बनते हैं जिसे सांस लेना कठिन हो जाता है।
वायु प्रदूषण के कारण फेफड़े में कर्क रोग, स्वास जैसे जानलेवा बीमारी होता है जिसके कारण हर वर्ष दुनिया में करोड़ों मैं जानें जा रहा है।
अगर आप वायु प्रदूषण के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो यह पोस्ट को पढ़िए।
वायु प्रदूषण का प्रभाव
वायु प्रदूषण के उच्च स्तर से दिल का दौरा, घरघराहट, खांसी और सांस लेने में तकलीफ और आंखों, नाक और गले में जलन का खतरा बढ़ सकता है। वायु प्रदूषण मौजूदा हृदय समस्याओं, अस्थमा और फेफड़ों की अन्य जटिलताओं को भी खराब कर सकता है।
मनुष्यों की तरह, पशु भी वायु प्रदूषण के कारण कई स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं, जिनमें जन्म दोष, प्रजनन विफलता और रोग शामिल हैं।
वायु प्रदूषण मनुष्यों और जानवरों पर प्रभाव के अलावा कई पर्यावरणीय प्रभावों का कारण बनता है।
अम्ल वर्षा में उच्च स्तर के Nitric और Sulfuric Acid होते हैं जो Oxide और Sulfur Oxide द्वारा बनाए जाते हैं जो जीवाश्म ईंधन के जलने से हवा में निकलते हैं। अम्लीय वर्षा पेड़ों को नुकसान पहुँचाती है और मिट्टी और जल निकायों को अम्लीकृत करती है, जिससे पानी मछली और अन्य जलीय जीवन के लिए बहुत अम्लीय हो जाता है।
Hydrochlorofluorocarbon, Chlorofluorocarbon, Foaming Agents, कीटनाशक, Sulphates, Aerosole प्रणोदक और आग बुझाने वाले यंत्रों के रूप में उपयोग किए जाने वाले मानव निर्मित यंत्रों से निर्गत रसायन Ozone Layer को कम कर रहे हैं। समताप मंडल में Ozone Layer एक सुरक्षात्मक परत बनाती है जो हानिकारक Ultraviolet Rays को वापस अंतरिक्ष में दर्शाती है जो अन्यथा जानवरों और पौधों के जीवन को नष्ट कर देगी।
2. जल प्रदूषण क्या है | Jal Pradushan Kya Hai
कारखाना, Indsutry के जो दूषित पानी सब आस पास की नदी या नाले में छोड़ा जाता है जिसके कारण जल प्रदूषण होता है। जल प्रदूषण पानी में होने वाले जलचर जीवों बे बहत ही कुप्रभाव पकाता है और उसके साथ साथ उस दूषित पानी को पीने वाले मनुष्यों के ऊपर भी कुप्रभाव पड़ता है।
पानी मैं दूषित रसायन मिलने कारण उस पानी का जलचर जीवों का मौत हो जाता है और मनुष्य जब उस पानी को पीता है तो बहत सारी पेट की बीमारी हो जाता है। जल प्रदूषण के कारण भी हर साल दुनिया में करोड़ों जीवन जा रहे हैं।
जल प्रदूषण का प्रभाव
जल प्रदूषण इंसानों, जानवरों और जलीय जीवन के लिए एक गंभीर खतरा है।
जल प्रदूषण का प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि कौन से रसायन कहां पकाया जा रहे हैं। औद्योगिक संयंत्रों, स्वास्थ्य केंद्रों और व्यक्तियों द्वारा, कानूनी और अवैध रूप से, दोनों तरह के कचरे और रसायनों को आस पास की नदी या नाले में पका कर भारी मात्रा में जल प्रदूषण किया जाता है।
जल प्रदूषण का अब तक का सबसे बड़ा परिणाम जलीय जीवों की मृत्यु है, जो पूरी खाद्य श्रृंखला को बिगाड़ सकता है। Cadmium, Mercury और सीसा जैसे प्रदूषक छोटे जलीय जीवों द्वारा खाए जाते हैं तो उन छोटे जलीय जीवों को जब मछली और शेल मछली खाते हैं, तो खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक कदम के साथ और अधिक केंद्रित हो जाते हैं और मनुष्यों और वन्यजीवों में गंभीर समस्याएं पैदा करते हैं।
पोषक तत्व प्रदूषण पीने के पानी के स्रोतों में जहरीले शैबाल खिलने का कारण बन सकता है जो मछली और अन्य जलीय जानवरों को मारने वाले विषाक्त पदार्थ पैदा करते हैं। इस जहरीले शैवाल के सीधे संपर्क में आने से मनुष्यों में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं जिनमें तंत्रिका संबंधी प्रभाव, श्वसन संबंधी समस्याएं, पेट और यकृत की बीमारी और चकत्ते शामिल हैं।
एक और गंभीर समस्या तब पैदा होती है जब पीने के पानी का इलाज करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कीटाणुनाशक जहरीले शैवाल से प्रदूषित पानी में पहुंच जाते हैं, वे Dioxins बनाने के लिए प्रतिक्रिया करते हैं। Dioxines अत्यंत हानिकारक रासायनिक यौगिक हैं जिन्हें प्रजनन और विकास संबंधी समस्याओं और तथा कर्क रोग का भी कारण बन सकता है।
अगर आपको जल प्रदूषण के बारे में विस्तार में जानना है तो ये पोस्ट पढ़ें।
3. भूमि प्रदूषण क्या है | Bhumi Pradushan Kya Hai
जिस चीज भारत की सौंदर्य को ज्यादा खराब कर रहा है वो है भूमि प्रदूषण। भिन्न भिन्न प्रकार के कचरे जब किसी जगह पर फेंक देते हैं तब भूमि प्रदूषण होता है। कचरे मैं भिन्न भिन्न प्रकार की Plastic और खतरनाक रसायन भी होता है जो मिट्टी में नहीं मिल पाते और मिट्टी को प्रदूषित करते हैं। उसके कारण मिट्टी का उर्वरता भी ह्राश होता है।
भूमि प्रदूषण ना की प्रकृति की सुंदरता को नष्ट करता है उसके साथ साथ जब वो कचरे आस पास की पानी मैं मिल जाते हैं जल प्रदूषण का भी कारण बनते हैं।
भूमि प्रदूषण का प्रभाव
भूमि और मिट्टी प्रदूषण त्वचा पर विभिन्न समस्याओं, श्वसन समस्याओं और यहां तक कि विभिन्न प्रकार के कैंसर का कारण बन सकती है।
प्रदूषित मिट्टी में उगाए गए फल और सब्जियां खाने, दूषित पानी पीने, त्वचा के सीधे संपर्क में आने और कणों और धूल से प्रदूषित हवा में सांस लेने से ये जहरीले पदार्थ सीधे मानव शरीर के संपर्क में आते हैं।
वनों की कटाई भी वायुमंडलीय स्थितियों में असंतुलन पैदा करती है, जिससे वातावरण से प्राकृतिक रूप से निकाले जाने वाले Carbon की मात्रा कम हो जाती है। यह एक गंभीर समस्या है, यह देखते हुए कि लोगों द्वारा बनाया गया अधिकांश प्रदूषण कार्बन आधारित है।
4. रेडियोधर्मी प्रदूषण क्या है (Radioactive Pollution)
आप वो दिल दहला देने वाला Chernobyl का किस्सा तो जानते होंगे। Nucler Power plant पर परमाणु ऊर्जा के मदद से बिजली बनाया जाता है और जिसके कारण बहत विकिरण निर्गत होता है। उसे अगर संभाल नहीं पाए और वो बिकिरण पर्यावरण मैं मिल जाते तो बहत जानलेवा हो जाता है।
विकिरण के प्रभाव से आस पास की सभी बस्तियों मैं लोगों का जान जा सकता है जैसे Russia के Chernobyl Plant पर हुआ था। किसी जगह पे अगर विकिरण एक बार भी मिल जाते तो उस जगह कभी भी सुरक्षित नहीं रहता।
रेडियोधर्मी प्रदूषण का प्रभाव
रेडियोधर्मी प्रदूषण का प्रभाव आकलन करना मुश्किल है। विकिरण कितने परिमाण से निर्गत हुआ उस पर प्रदूषण का प्रभाव निर्भर करता है।
विकिरण के संस्पर्श से आते ही मौत या शरीर पे गंभीर प्रभाव पड़ता है। आंख कान या सरीर के अंग नष्ट हो सकता है।
विकिरण का प्रभाव परिवेश पर भी पड़ता है। जिस जगह विकिरण निर्गत हुआ तो उस जगह का पेड़ पौधों सब जहरीला हो जाते हैं। उस जगह का वायु भी जहरीला हो जाता और उस जगह हमेशा हमेशा के लिए अनुपयोगी बन जाता है।
5. शब्द प्रदूषण क्या है | Shabd Pradushan Kya Hai
तेज ध्वनि के कारण शब्द प्रदूषण होते हैं। पटाखे की शब्द, किसी गाड़ी के उच्च ध्वनि,उच्च ध्वनि से संगीत अति शब्द प्रदूषण का कारण बनते हैं।
शब्द प्रदूषण के कारण शांत परिवेश का शांति भंग होता है और सुनने वालों को परेशान कर देता है। उसके साथ साथ शब्द प्रदूषण के कई लोगों का सुनने की क्षमता भी चले जाते हैं।
शब्द प्रदूषण का प्रभाव
शब्द प्रदूषण तनाव, चिंता, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, सुनने की हानि और नींद की कमी का कारण बन सकता है जिसके परिणामस्वरूप उत्पादकता में कमी आती है।
समुद्र में और समुद्र में तेल ड्रिल, पनडुब्बियों और अन्य जहाजों से अत्यधिक शोर होने के कारण समुद्री जानवरों, विशेष रूप से व्हेल मछलियों को चोट या उनकी मृत्यु हो सकती है।
प्रदूषण को नियंत्रण कैसे करें?
हमारे पर्यावरण की सुरक्षा हमारी प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है और अपनी और अपनी आने वाली पीढ़ियों की देखभाल करने का एक स्वाभाविक तरीका है। ऐसे कई कारक हैं जो हमारी खपत की आदतों के प्रभाव को कम करने में मदद करेंगे। नीचे कुछ व्यावहारिक तरीके दिए गए हैं जिन्हें प्रदूषण को कम करने के लिए हमारे दैनिक जीवन में लागू किया जा सकता है।
प्रदूषण को नियंत्रण और निराकरण के लिए हर एक देश के सरकार काम कर रहा है। इसके अलावा बहत सारे संगठन भी प्रदूषण नियंत्रण और निराकरण के ऊपर काम कर रहा है।
पर हम भी प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ पद्धति अपना सकते हैं।
जीवाश्म ईंधन से चलने वाले यान बहनों का इस्तेमाल कम करें
Petrol या Diesel से चलने वाले बहनों से निकलता हुआ धुआं के कारण वायु प्रदूषण बहत होता है। ऐसे जीवाश्म ईंधन से चलने वाले बहनों के बदले Electronic गाड़ी जो Battery पे चलता है वो इस्तेमाल करें जिसे कोई भी प्रदूषण नही निकलता है।
घर की कचरा को बाहर न फेंके
घर की कचरा को बाहर फेकने से भूमि प्रदूषण के साथ साथ उन कचरों का पानी मैं मिलने से जल प्रदूषण भी हो सकता है। इस लिए घर की सारी कचरा को किसी एक जगह पर जमा करें और ज्यादा हो जाने पर Munsipalty के कचरे डिब्बा मैं डाल दें।
ऊर्जा विकल्प
सुनिश्चित करें कि जब आप कमरे में न हों तो आप लाइट और अन्य बिजली के उपकरणों को बंद कर दें। उपयोग में न होने पर उन्हें अनप्लग करने से भी ऊर्जा बचाने में मदद मिलेगी। ऊर्जा कुशल प्रकाश बल्बों का प्रयोग करें।
रसायनों का उपयोग
पर्यावरण के अनुकूल रसायनों का उपयोग करें क्योंकि ये वही हैं जिनका उपयोग हम बर्तन धोने के लिए करते हैं, वो रसायन मिट्टी मैं मिल कर मिट्टी को प्रदूषित कर देता है या पानी के नाले में मिल कर पानी को दूषित कर देता है।
उच्च ध्वनि वाले Speaker का इस्तेमाल ना करें
हालाकी उच्च ध्वनि से गाना सुनने में बहत मजा आता है पर वो शब्द प्रदूषण भी करता है। इस लिए कम ध्वनि में गाना सुने। मजा कम आ सकता है पर प्रदूषण रूक जाएगा।
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प्रदूषण क्या है – निष्कर्ष
Pollution को नियंत्रण करना आजकल बहत ही जरूरी हो गया है। हम सब तो प्रदूषण से जूझ रहे हैं पर अगर हम आज नियंत्रण ना करें तो हमारे भविष्य की पीढ़ी को ही भुगतना पड़ेगा।
उम्मीद करते हैं Pollution को समझने में हमारा ये Post “प्रदूषण क्या है? प्रदूषण के प्रकार क्या क्या है और प्रदूषण के कारण क्या है?” मददगार रहा। तो दोस्तों Post आपको कैसा लगा Comments करके जरूर बताएं और Share करना ना भूलें धन्यवाद।