MSP Kya Hai? एमएसपी क्या है? न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फायदा क्या है?

आज कल भारत में चल रहा किसान आंदोलन के बारे में सबको पता चल रहा होगा। इस आंदोलन में MSP का प्रत्यक्ष संपर्क है। किसानों का मानना है की नई किसान कानून के चलते उनको MSP का फायदा और नहीं मिलेगा। तो आज हम जानेंगे की असल में MSP Kya Hai? एमएसपी क्या है और उसके लिए आंदोलन क्यों हो रहे हैं। 

MSP Full Form/एमएसपी का फुल फॉर्म

MSP का फुल फॉर्म Minimum Support Price है।

एमएसपी का अर्थ (Meaning of MSP)

MSP(Minimum Support Price) जिसको हिंदी में “न्यूनतम समर्थन मूल्य” कहा जाता है। अर्थ तो पता चल गया अब आइये जानते है न्यूनतम समर्थन मूल्य व एमएसपी क्या है?

एमएसपी क्या है? – न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य हैं जिस मूल्य से, भारत सरकार कृषि उत्पाद सीधे किसान से खरीदती है। यह कानून द्वारा लागू करने योग्य नहीं है। यह किसान के लिए बहुत लाभदायक होता है क्यों की निर्धारित मूल्य से कम उसको कभी नहीं मिलता है।  

MSP एक निर्धारित मूल्य तय करने का तरीका है और इस तरीका के हिसाब से किसी भी फसल को सरकार को किसान से खरीदने के लिए एक निर्धारित मूल्य देना पड़ता है। 

आज भारत में 22–23 प्रकार की फसल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित है और इसमें हर एक फसल की अपने अपने MSP मूल्य है। MSP सिर्फ अनाज वाली फसल के लिए लगाया जाता है। 

एमएसपी का इतिहास

MSP पहले 1942 में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय पर अंग्रेजों के द्वारा आरंभ हुआ था। तब पूरा विश्व में उत्कट खाद्य कमी चल रहा था इसलिए खाद्य सस्य को महजुत करने के लिए MSP का प्रारंभ किया गया था।

उस समय पहले खाद्य विभाग का आरंभ किया गया और 1947 आजादी के बाद वो खाद्य विभाग एक मंत्रालय बन गया जिसको खाद्य मंत्रालय कहा गया। तब भारत उत्कट खाद्य की कमी से जूझ रहा था। 

जब 1960 पूरे विश्व में आरंभ हुआ इसका प्रभाव भारत पर भी दिखा गया।  मैं पूरे विश्व में कृषि क्रांति आरंभ हुआ तो उसका प्रभाव भारत में भी दिखा गया । 

तब भारत भी खाद्य को महजुद करना चाहा और आखिरकार 1966-1967 मैं MSP का आरंभ किया गया । 

पहला MSP गेहूं के ऊपर रखा गया था 54 रुपए हर quintal की मूल्य पर।

एमएसपी क्या है

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का निर्धारण कौन करता है? 

Commission of agricultural Costs and Prices (CACP) जिसको हिन्दी में कृषि लागत और मूल्य आयोग भी कहा जाता है , इसकी सिफारिश के आधार पर केंद्र सरकार MSP का मूल्य निर्धारण करते हैं चुनिंदा फसलों पर। MSP का मूल्य निर्धारित करने की काम सरकार ने CACP के ऊपर न्यस्त किया है ।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय कैसे करते हैं?

2004 में कृषि सुधार के लिए स्वामीनाथन आयोग बना था। उस आयोग में डॉ. M.S स्वामीनाथन MSP तय करने के सूत्र बताते थे। 

उनके सूत्रानुसार MSP का मूल्य अनाजों की औसत उत्पादन खर्च से कम से कम 50% ज्यादा होना चाहिए। 

और जब 2014 में मोदी सरकार आई तो उन्होंने MSP तय करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सूत्र से प्रेरणा लिए और उत्पादन खर्च का डेढ़ गुना (1.5) मूल्य MSP का तय किए। 

निम्नलिखित कुछ कारकों के साथ अर्थ व्यवस्था की सम्पूर्ण संरचना का एक ब्यापक दृष्टिकोण को ध्यान मैं राख कर MSP का मूल्य निर्धारण किया जाता है । 

  • उत्पादन मैं कितना खर्च हुआ 
  • उत्पादित फसल में बदलता हुआ मूल्य 
  • उत्पादित फसल का उत्पादन खर्च और बाजार मूल्य में तारतम्यता 
  • 3-6 महीने का बाद फसल का बाजार मूल्य मैं क्या प्रभाब पड़ेगा 
  • फसलों की मांग और आपूर्ति 
  • जनसंख्या के जीबन यापन पर प्रभाब 
  • फसलों की अन्तर्जातीय मूल्य 
  • किसानों की उत्पादन खर्च और प्राप्त कीमतों के बीच समानता 

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फायदा क्या है?

  • MSP का सबसे बड़ा फायदा ये है की किसानों को एक तय मूल्य मिलता है चाहे बाजार में उस अनाज का मूल्य गिर गया हो। अगर बाजार में कोई अनाज का खपत ज्यादा हो तो किसान बाजार में बेच कर लाभान्वित हो सकता है पर अगर बाजार में खपत कम हो तो MSP में आके तय मूल्य 1.5 गुना लाभ से भी अपना अनाज बेच सकते हैं। MSP हमेशा एक सुरक्षा की तरह काम करता है। 
  • इस MSP की मदद से सरकार काम उत्पादित होने वाले फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल करता है । जो फसल का उत्पादन काम हो रहा है उन फसलों पर सरकार एक अच्छी MSP मूल्य का प्रोत्साहन राशि घोसन कर देता है ताकि ज्यादा से ज्यादा उन फसलों का उत्पादन हो। 
  • जब किसानों को MSP के वजह से ज्यादा से ज्यादा फाइदा होगा तौ वो कृषि कार्य ममाईं ब्यबहरुत अत्याधुनिक उपकरॉननों का  ब्यबहर करने के लिए प्रातसोहित होंगे जिससे उनका उत्पादन और भी ज्यादा बढ़ेगा। 

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FAQs

  1. एमएसपी का फुल फॉर्म क्या है (Full Form of MSP)?

    MSP का Full Form (Minimum Support Price) एमएसपी का फुल फॉर्म न्यूनतम समर्थन मूल्य है

  2. एमएसपी की शुरुआत कब हुई?

    एमएसपी की शुरुआत 1966 में शुरू हुई ये परंपरा आज तक चली आ रही है

  3. न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है?

    न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य हैं जिस मूल्य से, भारत सरकार कृषि उत्पाद सीधे किसान से खरीदती है।

निष्कर्ष

एक सर्वेक्ष्यण से पता चला है की भारत में सिर्फ 6 प्रतिशत से काम किसान ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फायदा उठा रहे हैं क्यों की बहुत सारे छोटे किसानों को इस व्यवस्था के बारे में अभी तक जानकारी नहीं है। जो सिर्फ बड़े किसान हैं वो ही इस MSP के अंदर उनके फसल बेच रहे हैं। सम्पूर्ण रूप से देखा जाए तो MSP से बहुत सारे छोटे किसान अपना हालत को मजबूत कर सकते हैं और अपनी फसल को  नुकसान बिक्री से बचा सकते हैं।  

केंद्र सरकार की ये जिम्मेदारी है की MSP के वारे मैं गाँव गाँव जाकर उनको सचेतन करें और MSP के अंदर फसल बेचने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके द्वारा भारत की हर एक किसान को उचित दर मिलेगा और किसान खुसी खुसी और एक ऋतु की खेती करने के लिए प्रोत्साहित होगा क्यों की किसान खुस तो देश खुस। 

तो दोस्तों आशा करते हैं ये पोस्ट “एमएसपी क्या है? न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फायदा क्या है?” आपके लिए बहुत मददगार रहा होगा MSP के बारे में जानने के लिए । यह पोस्ट जरूर Share करें ताकि एक अनजान किसान को पता चल सके न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में और पोस्ट कैसा लगा Comments करके जरूर बताएं धन्यवाद। 

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