आजकल बहुत सारे लोग शेयर मार्केट में निवेश करके बहुत सारा पैसा भी कमा रहे हैं। लेकिन कुछ लोग शेयर मार्केट में निवेश करने से अपना सारा धन खो भी देते हैं, तो जब भी आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने की सोचते हैं तो आपको सबसे पहले ये पता होना चाहिए कि शेयर मार्केट में निवेश कैसे किया जाता है या शेयर कैसे खरीदते है? ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है? इस आर्टिकल में आपको डिलीवरी ट्रेडिंग के बारे में बताया जाएगा जो शेयर मार्केट में निवेश करने का एक तरीका है तो चलिए देखते हैं डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है? डिलीवरी ट्रेडिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखें? डिलीवरी ट्रेडिंग के लाभ और नुकसान क्या क्या है?
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है?
डिलीवरी ट्रेडिंग शेयर मार्केट में निवेश करने का एक तरीका है, डिलीवरी ट्रेडिंग को आप इन्वेस्टमेंट भी बोल सकते हैं। यानी यह एक प्रकार का शेयर मार्केट में आपका लंबे समय तक का निवेश है। डिलीवरी ट्रेडिंग का मतलब है कि जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो उसे आप लंबे समय तक होल्ड रखते हैं। वो समय कितना भी हो सकता है एक महीना, 1 साल, 10 साल, 20 साल।
इस प्रकार की ट्रेडिंग में जब आप किसी शेयर को खरीदते हैं तो वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है। और आपका शेयर डीमैट अकाउंट में सुरक्षित रहता है आप जब चाहे अपने शेयर को डीमैट अकाउंट से निकाल कर के बेच सकते हैं। जिस भी समय आपको उचित लगे कि अब इस शेयर को बेचने से मेरा लाभ होगा तब आप उस शेयर को बेच सकते हैं इस प्रकार डिलीवरी ट्रेडिंग का मतलब है किसी शेयर को खरीदकर लंबे समय तक उसे अपने पास होल्ड रखना।
इस प्रकार डिलीवरी ट्रेडिंग में आप किसी कंपनी के शेयर को खरीदते हैं उसे होल्ड रखते हैं और उचित समय आने पर उसे बेच देते हैं।
अगर आपको जानना है तो शेयर मार्केट कैसे सीखे तो हमारा ये पोस्ट आप के लिए मददगार रहेगा।
डिलीवरी ट्रेडिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखें?
- डिलीवरी ट्रेडिंग करते समय हमें सबसे पहले यही ध्यान रखना चाहिए कि हम अपने शेयर किसी एक ही कंपनी के ना खरीदें क्योंकि ऐसा हो सकता है कि उस कंपनी से हमें लाभ प्राप्त ना हो, तो हमें शेयर अलग-अलग कंपनी के खरीदने चाहिए। अगर एक कंपनी से लाभ नहीं होता है तो शायद दूसरी से हो जाए इस प्रकार पकभी भी एक कंपनी के शेयर नहीं खरीदने चाहिए। अपने शेयर्स को डिवाइड करें अलग-अलग कंपनी के शेयर खरीदे इससे आपको लाभ मिलने की संभावना ज्यादा है।
- दूसरी जो सबसे प्रमुख बात ध्यान रखने योग्य वह है कि धैर्य रखें अपने शेयर को ज्यादा समय तक होल्ड रखें। अगर कोई कंपनी अच्छा कर रही है तो वह आगे भी अच्छा करेगी इस सकारात्मक सोच के साथ अपने शेयर को होल्ड रखें ।इससे आपको ज्यादा लाभ प्राप्त होने की संभावना है। डिलीवरी ट्रेडिंग करने का मुख्य उद्देश्य यही होता है कि आप अपने शेयर को ज्यादा समय तक अपने पास रखें।
- तीसरी सबसे प्रमुख बात है कि जब आप किसी कंपनी के शेयर को खरीदते हैं तो खरीदते समय उस शेयर की कीमत क्या है? तो आप किसी कंपनी के शेयर तब खरीदें जब उसकी कीमत बहुत कम है, और उस कंपनी के शेयर को तब बेचे है जब उसकी कीमत बहुत ज्यादा है। अगर आप सस्ती कीमत में शेयर को खरीदते हैं और उससे बहुत ज्यादा कीमत में बेचते हैं तो आप का लाभ भी बहुत ज्यादा होता है।
- जब भी आप किसी कंपनी के शेयर खरीदे तो उस कंपनी के बारे में फंडामेंटल एनालिसिस मतलब की उस कंपनी का पिछले वर्षों में क्या प्रदर्शन रहा है? और आगे क्या रहेगा? बेहतर रणनीति के साथ आपको शेयर खरीदने चाहिए और उसी रणनीति के साथ आपको शेयर बेचने चाहिए। अगर आप बिना किसी रणनीति के शेयर को खरीदते हैं, बेचते हैं तो यह तो एक जुआ खेलने के समान हो गया।
आपको एक रणनीति बनानी चाहिए और फिर शेयर खरीदना चाहिए और बेचने चाहिए इससे आपका लाभ ज्यादा होगा।
डिलीवरी ट्रेडिंग के लाभ क्या है?
- डिलिवरी ट्रेडिंग का सबसे पहला लाभ है कि इसमें आप अपने शेयर को लंबे समय तक होल्ड करके रख सकते हैं। आपको शेयर खरीदते ही तुरंत बेचने की की जरूरत नहीं होती। इसमें आप अपने शेयर को 1 साल, 2 साल, 10 साल जितना समय आपको उचित लगे इतने समय तक आप रख सकते हैं।
- डिलीवरी ट्रेडिंग नए निवेशकों द्वारा बहुत पसंद की जाती है। क्योंकि इसमें आपके पास शेयर मार्केट का /स्टॉक मार्केट का बहुत ज्यादा अनुभव होने की जरूरत नहीं है। शेयर मार्केट/ स्टॉक मार्केट में आप नए निवेशक है तो भी आप डिलीवरी ट्रेडिंग से अपनी ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। आपने एक शेयर को खरीद लिया वह आपके डीमैट अकाउंट में सुरक्षित है। उचित समय आने पर आप उसे बेच देते हैं इसके लिए कोई बहुत अनुभव की जरूरत नहीं है। और यह बहुत कठिन कार्य नहीं है। इसे एक बिल्कुल नया निवेशक भी कर सकता है।
- डिलीवरी ट्रेडिंग काफी सुरक्षित है अन्य ट्रेडिंग के मामले क्योंकि इसमें जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं तो वह आपके डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है। और जब तक आप उसको अपने डीमैट अकाउंट से नहीं निकालते हैं तब तक वह वहां पर सुरक्षित रहता है। तो डिलीवरी ट्रेडिंग में अन्य ट्रेडिंग्स के मुकाबले सुरक्षा अधिक है और हानि होने की संभावना कम है।
डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान क्या है?
- डिलीवरी ट्रेडिंग में डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्ज लिया जाता है जिससे निवेशकों का लाभ कम होता है डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्ज का मतलब है कि जिन डिपॉजिटी में हमारी डीमैट अकाउंट है और उन डीमैट अकाउंट में हमारी से सुरक्षित है तो उन सेट की सुरक्षा के लिए डिपॉजिटी के द्वारा हमसे कुछ शुल्क लिया जाता है जिसे डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्ज कहा जाता है।
- भारत में दो डिपॉजिटरी है(1) सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विस लिमिटेड(CDSL) (2) नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड(NSDL), CDSL द्वारा ₹5.50पैसे लिया जाता है.डिपोजिटरी चार्ज लिया जाता है, NSDL द्वारा ₹4.50 पैसे डिपॉजिटरी चार्ज लिया जाता है।
- डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्ज के अलावा ब्रोकरेज के माध्यम से हम अपने शहर को डीमैट अकाउंट में सुरक्षित रखते हैं उन ब्रोकरेज के द्वारा भी हमसे इसके लिए शुल्क लिया जाता है जो भी हमारे लाभ को कम कर देता है। जैसे कि ZERODHA द्वारा ब्रोकरेज शुल्क ₹8 लिया जाता है और इसके साथ हमें 18 % जीएसटी भी देना होता है। अपस्टॉक्स(UPSTOX) द्वारा ब्रोकरेज शुल्क ₹13 लिया जाता है और इसके साथ 18 %जीएसटी भी हमें देना होता है.
तो इस प्रकार हमने देखा कि डिलीवरी ट्रेडिंग की सबसे बड़ी नुकसान यही है कि इसमें हमारे शेयर को डीमैट अकाउंट में सुरक्षित करने के लिए शुल्क लिया जाता है। तो इससे हमारा जो भी लाभ होता है उसमें से हमें शुल्क को घटाकर के देखना होता है तो हमारा लाभ कम होता है।
अगर आप आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं या आईपीओ के बारे में जानना चाहते हैं तो आईपीओ क्या है और आईपीओ कैसे खरीदें को जरूर पढ़ें।
निष्कर्ष – डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है?
आशा करते है कि यह पोस्ट आप के लिए मददगार रहा होगा। और आशा है कि अब आप डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है? डिलीवरी ट्रेडिंग करते समय किन बातों का ध्यान रखें? डिलीवरी ट्रेडिंग के लाभ और नुकसान क्या क्या है? जान गए होंगे। हम आपके सुझावों और योगदान की सराहना करते हैं। अपनी सुझाव देने के लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें जरूर बताइये। शुक्रिया!
FAQ
ट्रेडिंग कितने प्रकार का होता है?
ट्रेडिंग चार प्रकार के होते है जैसे की – स्केलपिंग ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग, पोजीशनल ट्रेडिंग
डिलीवरी और इंट्राडे में क्या अंतर है?
इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर को एक ही दिन में खरीदके बेचा जाता है, जबकि डिलीवरी ट्रेडिंग में शेयर को बहुत अधिक समय तक के लिए रखा जाता है।