बफर स्टॉक क्या है? सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है?

जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत की जनसंख्या पिछले कई वर्षों से बहुत अधिक बढ़ रही है। 2021 की जनगणना की बात करें तो भारत की जनसंख्या लगभग 140 करोड़ पहुंच चुकी है। जब किसी देश की जनसंख्या की दर उस देश में उपलब्ध संसाधनों की दर से अधिक हो जाती है, तो संसाधनों पर जनसंख्या का दबाव बढ़ने लगता है। भारत एक संसाधनों से परिपूर्ण देश है लेकिन भारत की जनसंख्या का दबाव इतना है कि यह संसाधन भी हमारी देश की जनसंख्या के लिए कम पड़ रहे हैं। 

भारत एक गांवो का देश है, भारत में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर ही निर्भर है। उनकी जीविका का निर्वहन कृषि के द्वारा ही होता है। पारिस्थितिकी असंतुलन के कारण बहुत बार प्राकृतिक आपदाएं इन ग्रामीण क्षेत्रों के जीवन निर्वाह के साधन यानी कृषि को पूरी तरह से नष्ट कर देती है। जैसे कि बाढ़, सूखा, अकाल, जब यह प्राकृतिक आपदाएं आती है तो किसानों की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं। और उनकी जीविका निर्वहन करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। इसके लिए सरकार बहुत सारी गरीब कल्याण परियोजनाएं शुरू करती हैं। और कोशिश करती है कि प्राकृतिक आपदाओं से गरीब किसान कम से कम प्रभावित हो।

इसी प्रकार की कोशिशों में से एक कोशिश बफर स्टॉक होती है। तो चलिए देखते हैं कि बफर स्टॉक क्या है? सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है? या बफर स्टॉक के लाभ क्या है और इससे जुडी अन्य जानकारियां।

Table of Contents

बफर स्टॉक क्या है?

जैसा किस शब्द से ही स्पष्ट है, बफर का मतलब सुरक्षा के लिए और स्टॉक का मतलब है एकत्रित करना। मतलब कि बफर स्टॉक का मतलब है कि सुरक्षा के लिए एकत्रित करना। बफर स्टॉक को केंद्रीय पूल भी कहा जाता है। यह सरकार द्वारा अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, अकाल, से निपटने के लिए पूर्व तैयारी होती है।

बफर स्टॉक में सरकार द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलें खरीद ली जाती है। प्रमुख है चावल और गेहूं क्योंकि भारत में अधिकांश जनसंख्या का खाद्य  यही दो फसल है। इन फसलों को किसानों से उचित मूल्य पर खरीद कर भंडारण क्षेत्रों में एकत्रित कर लिया जाता है ।जब भी प्राकृतिक आपदाएं होतीहै तो इन्हीं खाद्यान्नों को गरीब जनता को कम से कम मूल्य पर प्रदान किया जाता है। इससे किसानों को भी उनकी फसल का उचित मूल्य मिल जाता है, और गरीबों को भी उचित मूल्य पर प्राकृतिक आपदा में भोजन प्राप्त हो जाता है।

सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है? या बफर स्टॉक के लाभ 

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त होना 

जब सरकार बफर स्टॉक करती है तो वह किसानों से उनके उत्पाद को उचित मूल्य पर खरीद लेती है इससे किसानों को उनके उत्पादों की अच्छी कीमत प्राप्त हो जाती है उनका जीवन स्तर बढ़ता है।

खाद्य सुरक्षा बनाए रखना

जब किसी अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा के कारण देश में खाद्यान्नों की कमी हो जाती है। तो खाद्यान्नों के मूल्य में वृद्धि हो जाती है, मूल्य में वृद्धि होने के कारण गरीब जनता इन खाद्यान्नों को खरीदने में सक्षम नहीं होती है। बफर स्टॉक से गरीब जनता को उचित मूल्य पर खाद्य प्राप्त हो जाता है।

खाद्यान्न मुद्रास्फीति का कम होना

अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा आने के कारण किसानों की फसलें पूरी तरह से नष्ट हो जाती है। इससे देश में खाद्यान्न की कमी उत्पन्न हो जाती है। और खाद्यान्न के मूल्यों में काफी वृद्धि हो जाती है ।इस अवस्था में जब बफर स्टॉक को बाजार में उतारा जाता है तो मूल्य संतुलित हो जाता है इससे खाद्यान्न मुद्रास्फीति कम हो जाती है।

गरीब कल्याणकारी योजना में सहायक

सरकार द्वारा गरीबों के कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई जाती हैं जैसे कि अंत्योदय योजना, मिड डे मील योजना जिसमें गरीबों को मुफ्त में अनाज प्रदान किया जाता है। जिससे कि उनकी खाद्य सुरक्षा बनी रहे ।बफर स्टॉक से अनाज को इन गरीब जनता में बांटा जाता है।

बफर स्टॉक को बनाए रखने में चुनौतियां क्या है?

बेहतर रणनीति की कमी

बफर स्टॉक का प्रमुख उद्देश्य खाद्य सुरक्षा बनाए रखना, गरीबों का कल्याण करना है। लेकिन एक बेहतर रणनीति नहीं होने के कारण, संस्थागत ढांचा कमजोर होने के कारण यह एकत्रित अनाज गरीब जनता तक पहुंचता ही नहीं है। इसका लाभ बिचौलिए लेते हैं इसी कारण सरकार द्वारा इतनी योजनाएं चलाने के बावजूद भी लाखों लोग भूख से मर रहे हैं।

भंडारण क्षमता का ना होना

बफर स्टॉक में बहुत अधिक मात्रा में खाद्यान्नों को एकत्रित किया जाता है ।इन खाद्यान्नों के भंडारण की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण वर्षा में, सर्दी में, बहुत सारे जीवो के द्वारा इस अनाज को खराब कर दिया जाता है।

परिवहन की समस्या

एकत्रित अनाज को भंडारण क्षेत्रों से अनाज मंडियों तक पहुंचाने के लिए कुशल परिवहन की आवश्यकता होती है। कुशल परिवहन नहीं होने के कारण यह अनाज मंडियों तक नहीं पहुंच पाता और गरीब लोग इसका लाभ नहीं ले पाते। परिवहन की व्यवस्था अगर हो जाती है तो इसका खर्च बहुत अधिक होता है। जिसका प्रभाव सरकार के राजस्व पर पड़ता है।

चोरी होने की संभावना

भंडारण क्षेत्रों की उचित सुरक्षा नहीं होने पर भंडारण क्षेत्रों से अनाज के चोरी होने की संभावना बहुत अधिक होती है कई बार इन अनाजों को चोरी कर लिया जाता है।

चावल और गेहूं का अधिक उत्पादन

बफर स्टोर के लिए चावल और गेहूं का अधिक उत्पादन किया जाता है क्योंकि सरकार इन्हीं दो फसलों को प्रमुख रूप से किसानों से उचित मूल्य पर खरीदती है, क्योंकि भारत में अधिकांश जनसंख्या का खाद्यान्न चावल और गेहूं ही है तो इसलिए किसानों द्वारा चावल और गेहूं का ही अधिक उत्पादन किया जाता है अन्य फसलों की उपेक्षा की जाती है इसके कारण फसल विविधता पर बुरा प्रभाव पड़ता है और प्रत्येक बार चावल और गेहूं का उत्पादन करने से भूमि में कुछ विशेष पोषक तत्वों की कमी हो जाती है इससे भूमि उर्वरकता कम हो जाती है।

शांता कुमार समिति के द्वारा सरकार ने बफर स्टॉक को व्यवस्थागत बनाने के कौन-कौन से प्रयास किए हैं?

  • शांता कुमार कमेटी ने सिफारिश की है कि बफर स्टॉक के द्वारा लाभार्थियों की संख्या को 67% से घटाकर 40% कर दिया जाए।
  • इस समिति ने कहा है कि निजी क्षेत्र को भी बफर स्टॉक करने की अनुमति दे दी जाए मतलब कि निजी क्षेत्र भी अनाज को एकत्रित कर सकता है लेकिन उसका प्रयोग गरीब कल्याण के लिए ही होना चाहिए।
  • सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रत्यक्ष रूप से किसानों के खातों में ही हस्तांतरित किया जाना चाहिए जिससे कि बिचौलिए किसानों की राशि को हड़प ना सके।
  • भारतीय खाद्य निगम को उन्हीं राज्यों में बफर स्टॉक में हस्तक्षेप करना चाहिए, जिन राज्यों का बफर स्टॉक खरीद सही नहीं है जो राज्य बफर स्टॉक में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं भारतीय खाद्य निगम को उन राज्यों से अपने आपको अलग रखना चाहिए।
  • लेवी चावल को समाप्त करना चाहिए लेवी चावल का मतलब है सरकार द्वारा 25 %से 75% चावल अनिवार्य रूप से किसानों से उचित मूल्य पर खरीदे जाते थे ।शेष उत्पाद को किसान बाजार में प्रत्यक्ष रूप से बेच सकते थे। लेवी चावल के कारण किसान केवल चावलों का ही उत्पादन करते है। इसके कारण फसल विविधता को नुकसान पहुंचता है ,और भूमि की उर्वरता भी कम होती है इसलिए लेवी चावल को  समाप्त करना चाहिए।
  • नेगोशिएबल वेयरहाउस रशीद(एन डब्ल्यू आर) की प्रणाली शुरू करना, इस प्रणाली के तहत सरकार द्वारा कुछ मुख्य गोदामों को पंजीकृत किया जाएगा किसान इन पंजीकृत गोदामों में अपने खाद्यान्न फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच पाएंगे और अपनी राशि का 80% हिस्सा बैंक द्वारा अग्रिम राशि के रूप में ले पाएंगे
  • भारतीय खाद्य निगम को लचीलापन प्रदान करना चाहिए। जिससे कि भारतीय खाद्य निगम उत्पाद को खुले बाजार में उतार सकें जिससे कि खाद्य सुरक्षा बनी रहे।

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निष्कर्ष – बफर स्टॉक क्या है?

आर्टिकल में हमने पढ़ा कि बफर स्टॉक क्या है? सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है? या बफर स्टॉक के लाभ क्या है? बफर स्टॉक करने में सरकार को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है? और भी बफर स्टॉक से संबंधित जानकारियां। आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद!

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FAQ

FCI की फुल फॉर्म क्या है?

FCI की फुल फॉर्म फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (भारतीय खाद्य निगम) है।

FCI की स्थापना कब हुई?

FCI की स्थापना 14 जनवरी 1965 को हुई।

भारतीय खाद्य निगम का मुख्यालय कहां है?

भारतीय खाद्य निगम का मुख्यालय नई दिल्ली में है.

भारत में बफर स्टॉक किसके निगरानी में रहती है?

FCI (भारतीय खाद्य निगम) वह संगठन है जिसके माध्यम से देश में खाद्य सुरक्षा को बनाए रखा जाता है। FCI बफर स्टॉक को बनाए रखता है।

बफर स्टॉक के अन्य नाम क्या है?

बफर स्टॉक को केंद्रीय पूल भी कहा जाता है।

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